- अति कुपोषित बच्चों के इलाज के साथ ही खान-पान पर होता है जोर
- जिला अस्पताल में संचालित है पोषण पुनर्वास केंद्र
बस्ती : जिला अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) ने पिछले एक साल में इलाज के लिए आए 92 बच्चों को नई जिन्दगी दी है। अति कुपोषित बच्चों का इलाज एनआरसी में किया जाता है। उनके इलाज के साथ ही खान-पान की विशेष व्यवस्था की जाती है।
बाल रोग विशेषज्ञ व एनआरसी के नोडल अधिकारी ऑफिसर डॉ. सरफराज खान का कहना है कि अति कुपोषित बच्चों के किसी भी बीमारी से ग्रसित होने की संभावना ज्यादा होती है। इनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) कम हो जाती है। ऐसे बच्चों के मौत का शिकार होने तक की संभावना रहती है। कोविड काल में भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने पर ही विशेष जोर दिया जा रहा है।
एनआरसी में जो भी अतिकुपोषित बच्चा आता है, उसकी जांच कराई जाती है। अगर उसे इलाज की जरूरत है तो उसकी व्यवस्था की जाती है। बच्चे की उम्र, वजन आदि को देखते हुए उसके लिए डाईट चार्ट तैयार किया जाता है, तथा उसी के अनुसार उसे भोजन दिया जाता है। बच्चा जब खतरे से बाहर हो जाता है, तभी उसे डिस्चार्ज किया जाता है।
10 बेड का वार्ड है संचालित
जिला अस्पताल में 10 बेड का एनआरसी वार्ड संचालित है। इसमें किचन से लेकर बच्चों के खेल के सामान तक की व्यवस्था है। बच्चे के साथ रहने वाले एक तीमारदार को भी अस्पताल से ही भोजन मुहैया कराया जाता है। तीमारदार को 14 दिन का भत्ता व फालोअप के लिए आने पर भी भुगतान की व्यवस्था है। वार्ड में पूरे समय चौबीसो घंटे प्रशिक्षित स्टॉफ बच्चे पर नजर रखती हैं, । जो बच्चे ठीक होकर जाते हैं, उनका फॉलोअप भी एनआरसी स्टॉफ द्वारा किया जाता है।
केस एक-
खून चढ़ाकर बचाई बच्चे की जान
कलवारी थाना क्षेत्र के करमी गांव के एक डेढ़ साल के बच्चे समर को सात जनवरी को जिला अस्पताल के चिकित्सक डॉ. पीके चौधरी ने एनआरसी में भर्ती कराया। बच्चे के हाथ-पॉव सूजे हुए थे तथा खून की कमी थी। उसे 60 एमएल खून चढ़ाने के बाद इलाज शुरू किया गया। खाने में अंडा, दूध, केला आदि दिया गया। एक सप्ताह में उसका वजन 400 ग्राम बढ़ गया तथा उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी वह एक्टिव हो गया।
केस दो-
एनआरसी में कमजोर हालत में लाई गई थी आठ माह की अर्शी
साऊंघाट ब्लॉक के मंझरिया गंगारपुर की आठ माह की अर्शी पुत्री रणवीर को कमजोर हालत में सात दिसम्बर 2020 को लाया गया था। गांव की आंगनबाड़ी वर्कर उसे लेकर एनआरसी आई थी। वह उस समय बहुत कम खा-पी रही थी तथा सुस्त थी। उस समय उसका वजन 5.6 किलोग्राम था। इलाज के बाद 20 दिसम्बर तक उसका वजन बढ़कर 6.700 किलोग्राम हो गया था। खतरे से बाहर आने के बाद उसे डिस्चार्ज किया गया।
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