नई दिल्ली : "स्वामी विवेकानंद जैसा संचारक बनने के लिए सहजता और सरलता जैसे गुणों को होना अत्यंत आवश्यक है। अपने इसी गुण के कारण स्वामी जी देश के अंतिम व्यक्ति तक अपनी बात पहुंचाने में सफल रहे।" यह विचार विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी की उपाध्यक्ष सुश्री निवेदिता रघुनाथ भिड़े ने शुक्रवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम ' शुक्रवार संवाद' में व्यक्त किए। इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी एवं अपर महानिदेशक के. सतीश नंबूदिरीपाड भी मौजूद थे।
'स्वामी विवेकानंद : एक संचारक' विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सुश्री भिड़े ने कहा कि स्वामी विवेकानंद की बातें आज के समय में ज्यादा प्रासंगिक हो गई हैं। भारतीय समाज में आत्मविश्वास भरकर स्वामी जी ने नए भारत के निर्माण पर जोर दिया।
निवेदिता भिड़े ने कहा कि संचार एक गतिविधि नहीं, बल्कि संचार एक प्रक्रिया है। अगर आपको स्वामी विवेकानंद को संचारक के रूप में देखना है, तो उन्हें एक नहीं, अनेक रूपों में देखना होगा। उन्होंने कहा कि स्वामी जी जो पुस्तक पढ़ते थे, उनसे न केवल वे स्वयं सीखते थे, बल्कि दूसरों को भी सेवा और त्याग का संदेश देते थे।
सुश्री भिड़े ने कहा कि शिक्षा का मतलब यह नहीं है कि दिमाग में कई ऐसी सूचनाएं एकत्रित कर ली जाएं, जिसका जीवन में कोई इस्तेमाल ही नहीं हो। हमारी शिक्षा जीवन निर्माण, व्यक्ति निर्माण और चरित्र निर्माण पर आधारित होनी चाहिए।
इस अवसर पर प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि आज के समय में जब संचार और प्रबंधन की विधाएं एक अनुशासन के रूप में हमारे सामने हैं, तब हमें पता चलता है कि स्वामी जी ने कैसे अपने पूरे जीवन में इन दोनों विधाओं को साधने का काम किया। अपने कर्म, जीवन, लेखन, भाषण और संपूर्ण प्रस्तुति में उनका एक आदर्श प्रबंधक और कम्युनिकेटर का स्वरूप प्रकट होता है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. संगीता प्रणवेंद्र ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन के. सतीश नंबूदिरीपाड ने किया।
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