सबके मन में लोभ की पुरजोर अगन है
अपने - अपने स्वार्थ में संसार मगन है
बेईमानी करके कमाया कि गंवाया
इंसान का ईमान ही सबसे बड़ा धन है
कुछ भी नहीं रखा हुआ है धोखे में, छल में
स्वीकार्य नहीं चोरियां , न आज, न कल में
सोचता इस बात को क्यों नहीं जन है
इंसान का ईमान ही सबसे बड़ा धन है
दूर खुद से हम करें ये सारी बलाएं
सत्य और ईमान की मशाल जलाएं
जैसा हम बनाएं वैसा होता ये मन है
इंसान का ईमान ही सबसे बड़ा धन है
विक्रम कुमार
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